शनिवार, 24 मार्च 2018

रिपोर्ट -अनिल वैष्णव
बालोतरा उपखंड में सुप्रीम कोर्ट की रोक के बावजूद बजरी खनन पर रोक का कोई असर नही हो रहा है।बजरी माफिया अपनी राजनीतिक रसूख के चलते बैखोफ लूनी नदी से बजरी का खनन कर अपनी जेब भर रहे है।आम आदमी बजरी पर रोक के बाद दुगुनी कीमत चुकाने को मजबूर हो रहे है।हालांकि प्रशासन व खनन विभाग इक्का दुक्का कार्यवाही कर ओपचारिकता निभाते नजर आ रहे है,लेकिन आसान कमाई के लालच कई नए लोग भी इस बजरी कारोबार में कूद पड़े है।
इन क्षेत्रों में बैखोफ बजरी खनन
उपखंड के जसोल,बिठुजा,सराणा,जानियाना,किटनोद,कुंपावास,तिलवाड़ा,बगुण्डी, कलावा,गोल आदि नदी किनारे बसे गांवों में रात्रि में अवैध खनन को लेकर ट्रेक्टरों व डंपरों की हलचल शुरू हो जाती है।कई गांवों में तो बजरी खनन को लेकर गुटबाजी भी सामने आ रही है।
राजनीतिक पहुच व रसूख के चलते इनको कार्यवाही का अब कोई डर नही है।
जिम्मेदार विभाग निभा रहे ओपचारिकता
बालोतरा क्षेत्र में अवैध बजरी खनन पर रोक के मामले में प्रशासन भी लाचार नजर आ रहा है।जिला कलेक्टर ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की पालना के लिए राजस्व,पुलिस,खनन व परिवहन विभाग को विशेष दस्ते बना कर मोनिटरिंग व कार्यवाही के आदेश जारी किए थे।खनन विभाग कर्मचारियो व संसाधनों की कमी बता कर पल्ला झाड़ रहा है,पुलिस को सूचित करने पर कभी कभार कार्यवाही सामने आ रही है।सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार कई रसूखदार बजरी माफियाओ की इन विभागों के अधिकारियों व कर्मचारियों से सांठगांठ भी सामने आ रही है।
सरकारी निर्माण कार्यो के लिए सरकार ने निकाला रास्ता
राज्य सरकार ने सरकारी निर्माण कार्यो के लिए बजरी आपूर्ति को लेकर रास्ता निकाला है।नदी के आसपास खातेदारी भूमि से बजरी निकलने के लिए STP जारी कर दी गई है।
सरकार ने तो अपने निर्माण कार्य के लिए रास्ता निकाल लिया लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश को लेकर अभी कोई विशेष तैयारी नही की है।पर्यावरण को लेकर बजरी की एनओसी को पर अभी कोई विशेष तैयारी नजर नही आ रही जिससे आम आदमी को दोगुनी कीमत देकर अपना काम चलाना पड़ रहा है ओर बजरी माफिया सरकारी तंत्र से सांठगांठ कर अपनी जेब भरने में जुटे हुए है।