शनिवार, 25 मार्च 2023

नंगे पांव की तपस्या के बाद जसोल माँ को विधायक प्रजापत ने नवाया शीशनवरात्रा पर्व के चौथे दिन मंदिर परिसर में किया गया माँ कूष्मांडा का पूजन

 
जसोल- जिले की सौगात के बाद पचपदरा विधायक मदन प्रजापत जसोल माँ के दरबार पहुंचे। जंहा उन्होंने जगतजननी श्री माता राणी भटियाणी, श्री बायोसा, श्री सवाईसिंह, श्री लाल बन्नासा, श्री खेतलाजी व श्री भेरुजी की पूजा अर्चना की। ओर राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के दीर्घायु व प्रदेश के खुशहाली की कामना की। विधायक प्रजापत के जसोलधाम में पहुँचने पर श्री राणी भटियाणी मन्दिर संस्थान की ओर से स्वागत किया गया। इस दौरान संस्थान सदस्य कर्नल शंभूसिंह देवड़ा से शिष्टाचार भेंट की। विधायक प्रजापत ने कहा कि विधानसभा में बजट से पहले में माता राणी भटियाणी का आशीर्वाद लेते हुए रवाना हुआ। जसोल माँ की कृपा से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जो सौगात दी है। जिसके बाद क्षेत्र में लोग खुशी मना रहे है। उन्होंने कहा कि मैने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से जो मांगा वह मिला और जिले की सौगात देकर समूचे मालाणी क्षेत्र को गौरवान्वित कर दिया। जसोलधाम में माता के दर्शनों के बाद मन माँ के प्रति जुड़ गया। और रावल साहब के सानिध्य में जो विकास हो रहा है। वो अपने आपको क्षेत्र के साथ जोड़ रहा है। ओर लाखो की संख्या में आने वाले माता राणी के भक्तों की आस्था का केंद्र जसोलधाम का नजारा खूबसूरती से भरा हुआ है। और जसोल धाम की एक अलग ही पहचान है। संस्थान सदस्य कर्नल शंभूसिंह देवड़ा ने कहा कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने क्षेत्र वासियों को बालोतरा को जिला बनाते हुए विकास के नए आयाम के साथ जोड़ा है। और आपके 13 महीनों की नंगे पांव चलने की तपस्या का परिणाम है कि बालोतरा के साथ प्रदेश में जिला बनने की बौछार कर दी। इस दौरान फतेहसिंह, कुँवर हरिश्चंद्रसिंह, गजेंद्रसिंह जसोल, गुलाबसिंह, जगदीशसिंह, जितेंद्रसिंह डंडाली, पुंजराजसिंह वरिया, हड़मतसिंह नौसर, मांगुसिंह जागसा, गणपतसिंह सिमालिया, लालसिंह, रणवीरसिंह, जोगसिंह, भूपतसिंह, त्रिभुवनसिंह असाड़ा, सुमेरसिंह डाभड़, बालोतरा प्रधान भगवतसिंह, जसोल सरपंच ईश्वरसिंह, रतन खत्री, दिनेश प्रजापत बालोतरा, मूलाराम माली, प्रवीण जैन, तरुण जैन, कांतिलाल जैन जसोल सहित गणमान्य लोग मौजूद रहे|
नवरात्रि के चौथे दिन मंदिर में हुई पुजा अर्चना - नवरात्रि के चौथे दिन मंदिर परिसर में विधि-विधान से माँ कूष्मांडा की पूजा की गई व विश्व कल्याण की कामना करते हुए आहुतियाँ दी गई| नवरात्रि के चौथे दिन माँ दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप कूष्मांडा की पूजा का विधान है इनकी मंद हंसी से ही ब्रह्माण्ड का निर्माण होने के कारण इंका नाम कूष्मांडा पड़ा. माँ कूष्मांडा की आठ भुजाएँ है, वे इनमें धनुष, बाण, कमल, अमृत, चक्र, गदा और कमण्डल धारण करती है. माँ के आठवें हाथ में माला सुशोभित रहती है|

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